समाज के असुलो के खिलाफ जाकर शुरू किया था , पापड़ बनाने का काम, आज बन गयी है 800 करोड़ की कम्पनी

आज की महिलाए किसी से कम नहीं है। हमेशा महिलाओं ने खुद को साबित किया है। और हर बार उन्हें समाज ने माना भी है। हमारे ही समाज में ही कुछ ऐसी महिलाओं के उदाहरण आपको मिल जाएंगे। जिनसे आप महिला शक्ति का अंदाजा लगा सकते है। हम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से रचित झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की कहानी दोहरा सकते है। जिन्होने अपने शौर्य और सम्मान के लिए अंग्रेज़ो से लड़ाई की। और अपना उत्तम परिचय दिया। और आज भी समाज उन्हें याद करता है। इसलिए महिलाओं को कभी कम नहीं समझना चाहिए। वो हमशा से ही उत्तम रही है ,बस समाज के इस रस्मो रिवाज़ के नाम पर हो रहे खिलवाड़ के नाम पर उन्हें शिकार बनाता जा रहा है। और आज उनकी स्थिति कुछ हद तक ठीक ही है। आज कहानी लिज्जत पापड़ की, जिसे शुरू करने वाली जसवंती बेन ने 7 महिलाओं के साथ मिलकर इस काम को शुरू किया। और आज 800 करोड़ का ब्रांड बना दिया है।

लिज्जत पापड़ की शुरुआत हुई मुंबई के एक गाँव गिरगाव से।
लिज्जत पापड़ की शुरुआत हुई मुंबई के एक गाँव गिरगाव से।

कुछ ऐसी है लिज्जत पापड़ की कहानी

लिज्जत पापड़ की कहानी की शुरुआत हुई मुंबई के एक गाँव गिरगाव से। जहाँ पर एक साथ 7 महिलाये रहती थी। और उनके पति और बच्चो के जाने के बाद वो सभी खाली रहती थी। और उन्हें कुछ न कुछ कार्य करना था। जिससे उन्हें एक आय का श्रोत मिल सके। लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे। लेकिन उन सबने मिलकर 80 रुपए का क़र्ज़ ले लिया। और पापड़ बनाना शुरू किया। हालांकि इसकी शुरुआत उन्होंने बस अपने आप को व्यस्त रखने के लिए की थी ,लेकिन धीरे धीरे उनका ये काम बढ़ने लगा। और साल भर में एक बड़ा व्यवसाय बन गया। और सारी महिलाये व्यस्त रहने लगी।

लिज्जत पापड़ की संस्थापक जसवंती बेन ने शुरू से ही पापड़ की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया है
लिज्जत पापड़ की संस्थापक जसवंती बेन ने शुरू से ही पापड़ की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया है

नहीं किया कभी गुणवत्ता से समझौता

लिज्जत पापड़ की संस्थापक जसवंती बेन ने शुरू से ही पापड़ की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया है। और वे हमेशा से ही कहती है कि ” मैं हमेशा से ही आटे की गुणवत्ता का ध्यान रखती हूँ, और अगर आटा ख़राब होता है तो उससे पापड़ नहीं बनने देती हूँ ,क्योकि ये स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है “,उनके इसी जस्बे और मेहनत का ही फल है कि कभी 80 रुपये से शुरू हुआ ये काम आज 800 करोड़ो रुपयों एक ब्रांड बन चुका है। और उनके दवारा बनाये गए ये लिज्जत पापड़ आज हर घर में पसंद किये जाते है।

लिज्जत पापड़ से मिला बहुत सी महिलाओं को रोज़गार
लिज्जत पापड़ से मिला बहुत सी महिलाओं को रोज़गार

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मिला बहुत सी महिलाओं को रोज़गार

लिज्जत पापड़ के काम ने न सिर्फ उन सात महिलाओ को आय का एक बहुत बड़ा श्रोत दिया, बल्कि उन्होंने ओर भी ज़रूरतमंद महिलाओं को भी रोज़गार दिया ,जो घर पर रहकर कुछ कार्य करना चाहती थी। और देखते देखते ही लिज्जत पापड़ आज भी बाज़ार में अपनी मांग बनाए हुए है। और हर भारतीय की पहली पसंद भी है।

लिज्जत पापड़ की संथापक जसवंती बेन को राष्ट्रपति द्वारा सम्मनित भी किया जा चुका है
लिज्जत पापड़ की संथापक जसवंती बेन को राष्ट्रपति द्वारा सम्मनित भी किया जा चुका है

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