पिता किसान है, लेकिन बेटी बन गई है आईएएस अफसर, दूसरे प्रयास में हासिल की सफलता और पायी 23 वी रैंक

कहते है कि अगर किसी भी मंज़िल को पाना हो, तो उसके लिए पुरे मन से प्रयास करना बहुत ज़रूरी होता है, और फिर मुश्किलें चाहे कितनी भी क्यों न आजाये , हमे हार नहीं माननी चाहिए। और पूरे मन से प्रयास करते रहना चाहिए। आज हम एक शक्सियत से रूबरू करवाने जा रहे है, उनका नाम है तपस्या परिहार, जिन्होंने पूरी मेहनत से और संघर्ष के साथ सफ़लता का सफर तय किया। और पुरे मन के साथ जतन करके सफलता हासिल की है , उनके पिता एक किसान है। और उन्होने अपने बेटी तपस्या परिहार को पढाने के लिए पुरे मन से कोशिश की। और उसे पढ़ाया भी। एक कामयाब इंसान बनाया। और आज तपस्या परिवार एक आईएएस अफसर बन गयी है। आईये जानते है उनके इस सफलता के सफर के बारे में।

मध्य प्रदेश के अविकसित गाँव से है तपस्या
मध्य प्रदेश के अविकसित गाँव से है तपस्या

मध्य प्रदेश के अविकसित गाँव से है तपस्या परिहार

बता दे कि, तपस्या परिहार मध्य प्रदेश के अविकसित गाँव से है।जहाँ पर काफी पिछड़ा पन है । और यही से निकलकर तपस्या ने अपने लिए एक नई राह चुनी । जिस काऱण आज वो एक आईएएस के पद पर कार्यरत है। और अपनी सेवा देश के लिए दे रही है। वाकई किसान की इस इस बेटी को दिल से सलाम, है। कि उसने ऐसे हालातों भी पढ़ाई करना नहीं छोड़ा। और एक सफल आईएएस अफसर बने।

तपस्या ने अपने दूसरे प्रयास में ये सफलता पाकर इतिहास रच दिया है।
तपस्या ने अपने दूसरे प्रयास में ये सफलता पाकर इतिहास रच दिया है।

हासिल की 23 वी रैंक

बता दे कि, तपस्या ने अपने दूसरे प्रयास में ये सफलता पाकर इतिहास रच दिया है। और उन्होंने 990 चयनित प्रतिभागियो में से 23 वा स्थान प्राप्त किया है। और ये वाकई ही एक किसान के लिए गर्व की बात है। क्योकि जब किसी मध्यम तबके का बच्चा कोई तरक्की हासिल करता है, तो ये बात पुरे देश के लिए भी काबिले तारीफ होती है। और परिवार के लिए तो गर्व का क्षण है ही।

तपस्या सफलता का मूल रहस्य ये बताती है कि, उन्होंने एक तो निरंतर प्रयास करते रहना नहीं छोड़ा।
तपस्या सफलता का मूल रहस्य ये बताती है कि, उन्होंने एक तो निरंतर प्रयास करते रहना नहीं छोड़ा।

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सफलता का ये रहा मन्त्र

तपस्या पनी सफलता का मूल रहस्य ये बताती है कि, उन्होंने एक तो निरंतर प्रयास करते रहना नहीं छोड़ा। और उन्होने इस सफलता को अपनी खुद की मेहनत से पाया है। उन्होंने पहले प्रयास के लिए कोचिंग ज्वाइन की थी। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसलिए उन्होंने दूसरे प्रयास IAS को ही अंतिम प्रयास मानते हुए अपनी पूर्ण निष्टा से पढाई की। और उन्होंने सेल्फ स्टडी पर ध्यान दिया। और सबसे बडी बात उन्होंने हर विषय को बराबर समय देते हुए पढ़ा। और टॉपर्स के इंटरव्यू भी पढ़े।

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