आशा भोसले के प्यार में कुछ इस तरह से हो गया था गुमनाम ये आशिक़?

बॉलीवुड में अपनी मधुर संगीत आशा भोसले से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले महान संगीतकार आर. डी. बर्मन भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपने गानों के जरिए वे लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं। उनका गाना ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’ अब भी काफी लोकप्रिय है। बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 को कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता एस. डी. बर्मन जाने—माने फिल्मी संगीतकार थे। घर में फिल्मी माहौल के कारण बर्मन का रूझान संगीत की ओर हुआ।जानते हैं उनके बर्थडे पर जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।एक गाने की रिहर्सल के दौरान किसी ने मुझे फूल भेजे। मैंने फूल लाने वाले से कहा, इन्हें फेंक दो। पता नहीं कोई बेवकूफ रोज इन फूलों को मुझे भेजकर बर्बाद करता है। मजरूह साहब और आर. डी. वहीं बैठे थे। मजरूह साहब हंस पड़े और बोले, “आर. डी. ही वह बेवकूफ है, जो तुम्हें फूल भेजता है।

आशा भोसले को कुछ इस तरह से चाहने लगे थे आरडी बर्मन
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गाने की रिहर्सल के दौरान ही किसी ने मुझे फूल भेजा

कॉर्डिंग्स के चलते अक्सर मेरी और आर. डी. की मुलाकात स्टूडियो में हुआ करती थी। वह अपने पिता एस. डी. बर्मन से मिलने महालक्ष्मी स्टूडियो आया करते थे। मैं एक गाने की रिकॉर्डिंग कर रही थी। वह मेरे पास आए और मेरा ऑटोग्राफ मांगा और बोले कि उन्हें मेरे द्वारा गया मराठी नाट्य संगीत अच्छा लगा, जो उन्होंने रेडियो में सुना था। इस मुलाकात के बाद मैं देव आनंद की फिल्म ‘नौ दो ग्यारह’ की रिकॉर्डिंग में उनसे मिली थी।

आशा भोसले के प्यार में कुछ इस तरह से हो गया था गुमनाम ये आशिक़?
आशा भोसले के प्यार में कुछ इस तरह से हो गया था गुमनाम ये आशिक़?

इसके बाद फिल्म ‘पति-पत्नी’ के लिए आर. डी. के पहले गाने ‘मार डालेगा दर्द-ए-जिगर’ को मैंने अपनी आवाज दी। इसके बाद वर्ष 1966 में आई फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में हमारी जोड़ी को नोटिस किया गया। हम दोनों का संगीत की तरफ रुझान ही था, जिसने हम दोनों को जोड़े रखा। आर. डी. मुझसे शादी करना चाहते थे, लेकिन मैंने उन्हें बहुत इंतजार करवाया। मेरी पहली शादी असफल रही थी और मैं दूसरी शादी के बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी। वह महीनों तक मुझे मनाते रहे। वह मुझे कहते थे कि तुम्हें सुर की बहुत समझ है, तुम चाहो भी तो भी गलती नहीं कर सकती।

पति-पत्नी’ के लिए आर. डी. के पहले गाने ‘मार डालेगा दर्द-ए-जिगर’ को मैंने अपनी आवाज दी
पति-पत्नी’ के लिए आर. डी. के पहले गाने ‘मार डालेगा दर्द-ए-जिगर’ को मैंने अपनी आवाज दी

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आशा भोसले को फूल भेजते रहे ‘पंचम दा’, ऐसे खुली थी पो

संगीत के साथ प्रयोग करने में माहिर आर.डी.बर्मन पूरब और पश्चिम के संगीत का मिश्रण करके एक नई धुन तैयार करते थे। उनकी ऐसी धुनों को गाने के लिए उन्हें एक ऐसी आवाज की तलाश रहती थी जो उनके संगीत में रच बस जाए। यह आवाज उन्हें पाश्र्वगायिका आशा भोंसले में मिली।

आशा भोसले को फूल भेजते रहे 'पंचम दा', ऐसे खुली थी पो
आशा भोसले को फूल भेजते रहे ‘पंचम दा’, ऐसे खुली थी पो

लंबी अवधि तक एक दूसरे का गीत संगीत में साथ निभाते-निभाते दोनों जीवन भर के लिए एक दूसरे के हो गए और अपने सुपरहिट गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते रहे। लेकिन वर्ष 1994 में बर्मन इस दुनिया को अलविदा कह गए।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड Samchar buddy .com से जुड़े रहे।

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