पहाड़ की बेटी अर्चना बिष्ट ने किया कमाल, इस छोटे से गाँव की बेटी का हुआ ISRO में चयन, बन गयी है वैज्ञानिक

उत्तराखंड की बेटियां भी किसी से कम नहीं है। हर बार उत्तराखंड की बेटियों ने हुनर का प्रमाण दिया है। आज हम उत्तराखण्ड कि शान बन चुकी एक बेटी की कहानी सुनाने वाले है। जिनका नाम है अर्चना बिष्ट। इनका चयन ISRO में एक वैज्ञानिक के तौर पर हुआ है। जिसके बाद पुरे प्रदेश भर में खुशियों की लहर दौड पड़ी थी। और उत्तराखण्ड को एक और होनहार वैज्ञानिक मिलने वाला है। उत्तराखण्ड की इस बेटी अर्चना बिष्ट ने तो वाकई ही कमाल कर दिखाया है। और जब कोई देश या राज्य की बेटी कोई भी सफलता हासिल करती है, तो य समाज के ऊपर एक प्रहार होता है, जो ये सोचता है कि, ये समाज में पुरुष सबसे जयादा मान्य है, या सिर्फ पुरुष ही कोई भी कार्य कर सकते है। और जिन्हे ऐसा लगता है कि, सिर्फ पुरुष ही सारे कार्य कर सकते है।

अर्चना बिष्ट उत्तराखंड के एक जिले पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली है
अर्चना बिष्ट उत्तराखंड के एक जिले पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली है

पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली है अर्चना बिष्ट

बता दे कि, उत्तराखंड की ये बेटी अर्चना बिष्ट, उत्तराखंड के एक जिले पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली है। और पैड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल की हिलोगी गाँव की निवासी है। जो कि उस क्षेत्र का सबसे छोटा गाँव है। लेकिन असुविधा के अभाव में भी अर्चना ने अपना सपना नहीं त्यागा। और उसके लिए भरसक प्रयास किये थे। जिसके लिए उनका मेहनत और संघर्ष का परिणाम वैज्ञानिक बनने के तौर पर मिल ही गया।

अर्चना बिष्ट शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी रही है।
अर्चना बिष्ट शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी रही है।

अर्चना बिष्ट शुरू से ही रही पढ़ाई में बढ़िया

बता दे कि, अर्चना बिष्ट शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी रही है। और जिसके कारण उन्होंने अपने स्कूल के समय से ही कक्षा 10 और 12 वी में भी टॉप किया था। और अब उन्होंने वैज्ञानिक की इस कठिन परीक्षा में भी टॉप करके खुद को साबित किया है। देश की इस होनहार बेटी ने उत्तराखण्ड का नाम रोशन कर दिया है।

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अर्चना बिष्ट का चयन अब ISRO में वैज्ञानिक के तौर पर हो गया है।
अर्चना बिष्ट का चयन अब ISRO में वैज्ञानिक के तौर पर हो गया है।

लॉकडाउन का उठाया पूरा लाभ

सबसे महत्वपूर्ण समय अर्चना बिष्ट के लिए उनका लॉक डाउन था। जिसमे उन्होंने घर में रहकर ही बिना किसी परेशानी और डिस्टबनस के अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाया। और अब उन्हें उसी का लाभ मिला है। जिसके कारण अच्छे से बिना कोई भी रोक टोक के पढ़ाई पर ध्यान दिया है। और लॉक डाउन का वह समय उनके लिए वरदान बन गया। जिसमे उन्होंने जमकर पढ़ाई की थी। उनका चयन अब ISRO में वैज्ञानिक के तौर पर हो गया है।

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