भगवान् कृष्ण की द्वारिका नगरी किस तरह भव्य विलासिता के साम्राज्य से उजाड़ खंडहर में बदल गई जानिये दिलचस्प कहानी?

आदि शंकराचार्यकृत चार धामों में से एक द्वारिका नगरी धाम जिसका इतिहास पांच हजार साल पुराना है, यह नगरी श्री कृष्ण ने बसाई थी जो उस काल में बहुत ही भव्य थी। अब वर्तमान में यह नगरी लुप्त ही हो चुकी थी लेकिन समुद्री खोजकर्ताओं ने कुछ ही साल पूर्व इस नगरी के अवशेष समुद्र में खोज निकाले जिसमे वहाँ पर कई प्रकार के पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए, जिनमे विशाल खम्बे, खंडित मूर्तियां वगैरह हैं। जिससे प्राचीन द्वारका नगरी की भव्यता का पता चलता है। द्धारिका पुरी गुजरात के समुन्दर के किनारे पर स्थित है जो हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण सात पवित्र शहरों सप्त पुरियों में से एक है, जिसके दर्शनो का विशेष महत्व है। वर्तमान में खोजी गई द्धारिका नगरी पर कई प्रकार के शोध कार्य जारी हैं और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण में भारत के लिए गौरव का विषय है कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में वैश्विक मान्यता के लिए प्रथम पायदान पर लाने में इस स्थान का भी बड़ा महत्व है

द्धापर युग में डूब चुकी कृष्ण की नगरी की खोज सफल हुई
द्धापर युग में डूब चुकी कृष्ण की नगरी की खोज सफल हुई

इसे भी देखे-: भगवान् शिव के आने के बाद उनके पैरों से निशान ही बन चुके इन जगहों पर

जरासंध का दुश्मन था श्रीकृष्ण का यदुवंश

श्रीकृष्ण में अपने बड़े प्रतिद्वंदी शत्रु जरासंध जो जो सम्पूर्ण यादव वंश का विनाश करना चाहता था उसके सम्बन्ध कई मलेच्छ देशों के राजाओं से थे, जिनके द्वारा वे यदुवंश का नाश करना चाहते थे। क्योंकि इस वंश के राजा कृष्ण ने जरासंध के सम्बन्धी कंस का वध किया था। जिस कारण वह कृष्ण को अपना परम शत्रु समझता था, जिससे बचने के लिए कृष्ण ने अपनी राजधानी बदलकर दूर समुद्र के किनारे कर ली। हालांकि द्वारिका नगरी श्रीकृष्ण के शासनकाल के बाद समुद्र में डूब गई, जिसके बाद कुछ ही यदुवंशी शेष बच पाए जिनमे श्रीकृष्ण का प्रपोत्र वज्र हस्तिनापुर का राजा बना और इस वंश का आगे बढ़ाया।(द्वारिका)

समुद्र के अंदर हैं भव्य द्धारिका नगरी के अवशेष
समुद्र के अंदर हैं भव्य द्धारिका नगरी के अवशेष

श्रीकृष्ण के सपनो की नगरी कैसे बदल गई वीरान खंडहरों में

विज्ञान के अनुसार कुछ हजार साल पहले धरती की बर्फ एकदम से पिघलनी शुरू हुई, यह वर्तमान की ग्लोबलवार्मिंग थ्योरी की तरह है लेकिन इस पुरानी घटना को खगोलीय घटनाओं का परिणाम माना जाता है जिसमे हिमयुग का अंत हुआ और समुद्र के किनारे के कई शहर डूब गए जिसका प्रमाण वैज्ञानिक स्वीकार करते हैं।

प्राचीन ग्रंथों में प्रमाण मिलता है कि यादवों के विलासिता और आपसी बेर भाव की आदतें बहुत बुरी हो गई थी जिससे श्रीकृष्ण भी चिढ खाने लगे थे। कृष्ण के शासन काल के उपरांत राज्य में अशांति का माहौल फ़ैल गया जिसके परिणाम स्वरुप यादव आपस में ही लड़कर ख़त्म हुए और यह छेत्र उजाड़ हो गया। साथ ही दुश्मन राज्यों के वहा पर ख़तरा होने के कारण सारे यदुवंशी इस छेत्र को छोड़कर चले गए ।इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।

Join WhatsApp Channel