हनुमानजी के जन्मस्थान आंजनेद्री पर्वत पर जल्दी स्थापित होगी बजरंगबली की विशालकाय मूर्ति!!

भगवान् राम के भव्य मंदिर बनना शुरू होने के बाद से ही हनुमान जी की मूर्ती बनने का काम भी शुरू हो गया था, जिसकी मांग राम भक्तों में लम्बे समय से थी। असल में भगवान् राम और हनुमान जी के भक्तों में ज्यादा अंतर नहीं और ज्यादातर जो रामजी के भगत हैं, वे हनुमान जी के भी भगत हैं। भारत के अलावा अन्य देशों में भी हनुमान जी के प्राचीन मंदिर हैं जो बड़ा महत्व रखते हैं। अभी तक हनुमान जी की सबसे बड़ी प्रतिमा अमरीकी देश सूरीनाम में स्थापित हे, जिसे वहां रहने वाले हिन्दुओं ने वहाँ पर स्थापित किया हे।

लोकभावना के मुताबिक़ जिस प्रकार भगवान् राम के जन्मस्थान पर मंदिर का निर्माण हुआ उसी प्रकार हनुमान जी के जन्मस्थान पर भी हनुमान जी की ऐतिहासिक इमारत का निर्माण होना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह निर्णय हुआ कि बड़ी मूर्ती का निर्माण किया जाएगा, जिसके लिए हनुमान जी के जन्मस्थान आजनेन्द्री पर्वत पर निर्माण हो रहा हे। हालांकि जन्मस्थान को लेकर यह स्थान विवादित भी रहा, लेकिन अधिकांश विद्वानों ने इसी स्थान को लेकर अपनी सहमति जताई।

यहां पर हुआ था हनुमान जी का जन्म

यहां पर हुआ था हनुमान जी का जन्म
यहां पर हुआ था हनुमान जी का जन्म

यह मंदिर तिरुमाला के पहाड़ियों पर बना है, जो यहां के आजनेन्द्री पर्वत पर हे। यहां पर हनुमान जी की प्रतिमा के साथ ही हवन कुंड, माता अंजनि का मंदिर और कई प्रकार की कलाकृतियां अंकित की जाएंगी। दिलचस्प हे कि महाराष्ट्र के त्रयंबकेश्वर में भी हनुमान जी का जन्मस्थान होने का दावा किया जाता हे, जिसके लिए यहां के मातंग ऋषि आश्रम का हवाला भी प्रमाण के रूप में दिया जाता हे।

हालांकि जो भी हो इतिहासकार आजनेन्द्री के दावे को नहीं नकार रहे हैं और ऐसा करने के पीछे कोई ख़ास दलील भी नहीं हे। अब तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने भी इस सम्बन्ध में अपना सहयोग दिया हे, जिसके बाद आजनेन्द्री पर्वत के धार्मिक पर्यटन के बड़े केंद्र के रुप में उभरकर आने की उम्मीदें हैं।

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हनुमान जी की भी प्रतिमा
हनुमान जी की भी प्रतिमा

राम मंदिर के बाद अब हनुमान जी की बारी

इस स्थान का उल्लेख पुराणों में मिलता हे, जिनमे स्कंध पुराण, शिव पुराण, महाभारत, ब्रह्माण्ड पुराण, वगैरह धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता हे। जिसमे एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी हे, जिसके अनुसार माता अंजना ने इस स्थान पर कई वर्ष तप किया, जिसके बाद उन्हें संतान प्राप्ति हुई, इसके बाद हनुमान जी का जन्म हुआ।

जिसके बाद उन्होंने बचपन में सूर्य की और जिग्यांसा जिद वश छलांग लगाई तो इंद्र ने उनपर वज्र प्रहार किया, जिसके बाद उन्हें गहरी चोट पहुंची। लेकिन जब मामले की वास्विकता जानकार देवता हनुमान जी के दिव्य अंश के बारे में जाने तो उन्हें वरदानी शक्ति से सुसोभित किया। जिसके कारण यह पर्वत बड़ा ऐतिहासिक महत्व रखता हे। हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।

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