25 साल की पिता की मेहनत को बेटी ने किया सफल, गरीबी में जन्मी ये बिटिया ने पास की यूपीएसी की परीक्षा में 93 वीं रैंक हासिल करके बन गयी कलेक्टर

यूपीएसी परीक्षा ! दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओ में से माने जाने वाली ये परीक्षा को पास करने के ही सपने आज देश के ज्यादातर युवा देखते है। और यूपीएस की तैयारी करते है। और बहुत कम ही युवा इस परीक्षा को को निकल पाते है। हालांकि बहुत से युवा गरीबी और मजबूरी में बिना किसी साधन के पढाई करते है। और पूरी मेहनत से इस परीक्षा को पास करते है। और आज की कहानी भी कुछ इतनी ही खास है। क्योकि इस कहानी में संघर्ष भी है। और मेहनत के रंग भी। उनका नाम है दीपेश कुमारी। जिनके पिता का का नाम है गोविन्द। जिन्होंने लगातार ठेला चलकर घर का खर्च उठाया। और 7 लोगों के परिवार को भी पाला था। साथ ही उन्होंने अपनी बेटी दीपेश कुमारी को पढ़ाया लिखाया। और आज इस काबिल बना दिया कि वो एक आईएएस बन गए है। और उन्होंने अपने पिता की मेहनत को भी सफल कर दिखाया है। आईये उनकी सफलता की कहानी के बारे में जानते है।

हासिल की 93वी रैंक
हासिल की 93वी रैंक

हासिल की 93वी रैंक

बता दे कि, दीपेश दीपेश कुमारी ने न सिर्फ अपनी मेहनत से इस परीक्षा को पास किया, बल्कि उसमे 93 वी रैंक भी हासिल की है। गरीबी में जन्मी दीपेश कुमारी ने शुरू से ही संघर्ष भरा जीवन जीया है। और उनके 5 भाई बहनो के साथ वो पली बड़ी है। और साथ में दोनो माता पिता ने भी हर संभव प्रयास के चलते बेटी को पढाया लिखाया था। घर में कई बार खाने के भी पैसे ही नहीं होते हे थे। तो तब भी उनहोने हार नहीं मानी थी। और हालातो से लड़कर भी स्वयं को निखारता था ।

 दीपेश कुमारी के पिता गोविन्द को उनके आईएएस बनने पर ख़ुशी है। कोई गुमान नहीं है।
दीपेश कुमारी के पिता गोविन्द को उनके आईएएस बनने पर ख़ुशी है। कोई गुमान नहीं है।

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 दीपेश कुमारी बेटी के आईएएस बनने पर नहीं है गुमान

सबसे खास बात तो ये है कि, दीपेश कुमारी के पिता गोविन्द को उनके आईएएस बनने पर ख़ुशी है। कोई गुमान नहीं है। इतना सादा जीवन जीते है। और इसका प्रमाण उन्होंने खुद ही इस तरह से दिया कि, उन्होंने बेटी के आईएएस बनने के बाद भी अपना काम किया। और अगले दिन भी वे रोज़ की तरह ठेले पर गए और काम करने लगे। वाकई में गरीबी में सादगी व्यक्तित्व को निखार देती है।

बेटी के आईएएस बनने पर नहीं है गुमान
बेटी के आईएएस बनने पर नहीं है गुमान

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