मनोज बाजपेयी को बॉलीवुड में अपने काम में मिले थे इतने रिजेक्शन कि बना लिया था आत्महत्या का मन

बॉलीवुड के मशहूर और प्रतिभावान अभिनेताओं में से एक मनोज बाजपेयी इंडस्ट्री में अपने बेहतरीन अभिनय के लिए जाने जाते हैं। अभिनेता बीते कई समय से अपनी फिल्मों और सीरीज के जरिए दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। एक्टर इस साल अपना 52वां जन्मदिन मनाएंगे। 23 अप्रैल 1969 को बिहार के बेलवा गांव में जन्में मनोज बाजपेयी आज सफलता और शोहरत के ऐसे मुकाम पर हैं, जहां पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं। अमिताभ बच्‍चन की ब्‍लॉक बस्‍टर फिल्‍म ‘जंजीर’ को देखने के बाद उन्‍होंने फैसला कर लिया कि वे अभिनेता ही बनेंगे।मनोज की शुरुआती पढ़ाई उनके पैतृक गाँव पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज के नजदीक बेलवा बहुअरी में हुई थी। यहां वे जिस स्‍कूल में पढ़ने जाते थे, वह झोपड़ी वाला था। बाद में उनकी पढ़ाई जिला मुख्‍यालय बेतिया के एक स्‍कूल से हुई। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे दिल्‍ली चले आए। पहली बार वे बिना टिकट रेल से दिल्‍ली आए थे। मनोज ने दिल्‍ली आने के बाद प्रतिष्ठित नेशनल ड्रामा स्‍कूल में दाखिले के लिए कोशिशें शुरू की। ऐसी कोशिशों में वे तीन बार फेल हुए।

बिहार के बेलवा गांव में जन्में मनोज बाजपेयी आज सफलता और शोहरत के ऐसे मुकाम पर हैं
बिहार के बेलवा गांव में जन्में मनोज बाजपेयी आज सफलता और शोहरत के ऐसे मुकाम पर हैं

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रिजेक्शन झेलने के बाद मन में आते थे आत्महत्या के ख्याल,

मनोज बाजपेयी के पास एनएसडी में दाखिले के अलावा कोई दूसरा प्लान नहीं था। ऐसे में तीन बार रिजेक्ट होना उनका दिल तोड़ गया। हाल ही में रिलीज हुई राइटर पीयूष पांडे की उनकी बायोग्राफी में जिक्र है कि तब उनके मन में आत्महत्या का ख्याल आया था। उन्हें लगने लगा कि अब जीवन में कुछ बचा ही नहीं है, इस जिंदगी को खत्म कर लेना ही एकमात्र रास्ता है।

रिजेक्शन झेलने के बाद मन में आते थे आत्महत्या के ख्याल,
रिजेक्शन झेलने के बाद मन में आते थे आत्महत्या के ख्याल,

रील लाइफ में मनोज बाजपेयी की एंट्री ‘दूरदर्शन’ पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘स्‍वाभिमान’ के साथ हुई। बड़े पर्दे पर उन्‍हें पहला मौका दस्‍यु सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर बनी फिल्‍म ‘बैंडिट क्‍वीन’ में मिला। इस फिल्‍म में उन्‍होंने फूलन के सहयोगी डाकू का रोल किया। इसके बाद ये सिलासिला यहीं नहीं थमा। नेश्नल अवॉर्ड के साथ-साथ उन्हें साल 2019 पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।

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नाकामियों ने तोड़ दिया था दिल

हिंदी में सिनेमा में नाम कमाने वाले मनोज बाजपेयी के जीवन में एक दौर ऐसा भी था, जब अभिनेता ने आत्महत्या करने तक का मन बना लिया था। दरअसल, नौ साल की उम्र से ही अभिनय में रूचि रखने वाले मनोज बाजपेयी को इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।

नाकामियों ने तोड़ दिया था दिल
नाकामियों ने तोड़ दिया था दिल

अपने शुरुआती चार प्रयासों में उन्हें इंटरव्यू के बाद एडमिशन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। ऐसे में लगातार चार बार रिजेक्ट होने के बाद एक्टर ने अभिनय में अपना करियर बनाने की उम्मीद बिल्कुल ही छोड़ दी थी। लगातार मिली नाकामयाबी से अभिनेता इतने निराश हो गए कि उनके मन खुदकुशी करने तक के ख्याल आने लगे थे। इतना ही नहीं एक्टर ने तो एक बार आत्महत्या की कोशिश भी की थी।

मनोज ने बैरी ड्रामा स्कूल से बैरी जॉन के साथ थियेटर किया
मनोज ने बैरी ड्रामा स्कूल से बैरी जॉन के साथ थियेटर किया

लेकिन बाद में करीबी लोगों के समझाने पर मनोज बाजपेयी  ने बैरी ड्रामा स्कूल से बैरी जॉन के साथ थियेटर किया। फिल्म ‘सत्या’ और ‘शूल’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड भी मिला था। वहीं फिल्म ‘पिंजर’ में शानदार एक्टिंग के लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड (स्पेशल ज्यूरी) भी मिला।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy  .com से जुड़े रहे।

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