फिल्म की तरह हैं महेंद्र डोगने की ये कहानी, स्कूल में हुआ कई बार फेल, घर से भागा खुद की तलाश में , दो बार ठुकराई बैंक की नौकरी और आज!!

सफलता की कुछ ऐसी कहानी, जिसको सुनकर आप भी प्रेरित हो जायेंगे। आज हम जिस शख्स की कहानी आपको बताने जा रहे हैं,वो कई बार ज़िंदगी मे फेल हुए, लेकिन आज हम सभी को प्रेरित कर रहे हैं, और महेंद्र डोगने आज एक प्रेरक वक्ता है। उनका नाम है, महेंद्र डोगने,जो कि कई बार ज़िंदगी में फेल हुए, और फेलयर कहलाए। लेकिन वी रुके नहीं, और आगे बढ़ते गए, और जीवन में हमेशा से कुछ करने की चाह उन्हें आगे ले गयी। आज वो न सिर्फ अपनी आवाज़ के लिए जाने जाते हैं, बल्कि अपने विचारों के लिए भी जाने जाते है, और एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं।

महेंद्र डोगने स्कूल में हुए सातवीं में फेल
महेंद्र डोगने स्कूल में हुए सातवीं में फेल

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महेंद्र डोगने स्कूल में हुए सातवीं में फेल

महेंद्र डोगने बताते हैं, कि वो एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे, और वो सातवीं कक्षा में फैल हो गए थे। वो खुद बताते है, कि दो बार उस कक्षा में फेल हो गए थे, और पढ़ाई में बिलकुल भी अच्छे नहीं थे, इसी काऱण से उन्होंने सरकारी स्कूल में एडमिशन ले लिया और, आगे की पढ़ाई वहीँ की। लेकिन वो वहां भी फेल हो गए। हालाँकि उनकी गेम्स में बहुत रूचि थी। और पढ़ाई में वो शुरु से ही कमज़ोर थे, लेकिन महेंद्र ने बाद में खुद को साबित करने के लिए बहुत मेहनत की। जब वो कक्षा 9 में थे, उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और उस समय के उसी स्कूल में वो टॉपर बन गए।

महेंद्र बैंक की जॉब का मिला ऑफर लेकिन ठुकरा दिया
महेंद्र बैंक की जॉब का मिला ऑफर लेकिन ठुकरा दिया

बैंक की जॉब का मिला ऑफर लेकिन ठुकरा दिया

महेंद्र पढ़ाई में अब अच्छे हो गए थे, और अपनी उस कुशलता को बनाये रखने के लिए उन्होंने एक इंस्टिट्यूट ज्वाइन किया। और वहीँ पर इंग्लिश के साथ साथ और परीक्षाओं की तैयारी भी करने लगे, और उन्होंने बैंक की एक जॉब के लिए भी इंटरव्यू दिया, और उनका सिलेक्शन भी हो गया, फिर उन्हें बैंक की जॉब का ऑफर आया। तो उन्होंने वो ऑफर ठुकरा दिया, और सब उन्हें पागल कहने लगे।

महेंद्र ने ढाई साल संभाला पिता जी का गैराज
महेंद्र ने ढाई साल संभाला पिता जी का गैराज

महेंद्र डोगने ने ढाई साल संभाला पिता जी का गैराज

करीब 1 साल तक अपने घर से अलग रहे, वही पर रात दिन नौकरी भी की, और थक हार कर घर लौट आये। माता पिता से कहा की “मैं गैराज सँभालने में उनका साथ दूंगा”, और उन्होंने करीब ढाई साल तक गैराज सम्भालने में मदद की। और क्योकि महेंद्र ने बचपन से अपने पिता के साथ रहते हुए गैराज का काम सीखा हुआ था, तो उन्हें काम करने में दिक्तत नहीं हुई !

खोला एक इंस्टिट्यूट, लेकिन महेंद्र बन गए एक प्रेरक वक्ता
खोला एक इंस्टिट्यूट, लेकिन महेंद्र बन गए एक प्रेरक वक्ता

महेंद्र डोगने ने खोला एक इंस्टिट्यूट, लेकिन महेंद्र बन गए एक प्रेरक वक्ता

कुछ समय बाद मेहन्द्र ने गैराज में काम करने से अपने पिता को मना कर दिया। और अपने पिता जी ने कहा कि वो कुछ अलग करना चाहते हैं, और फिर घरवालों ने भी उन्हें मौका दे दिया। इसके बाद उन्होंने अपना खुद का एक इंस्टिट्यूट खोला, लेकिन कुछ समय के बाद बंद कर दिया। और उसके बाद उन्हें बहुत से लोग पागल कहने लगे, लेकिन महेंद्र ने उस पर ध्यान नहीं दिया, वो आगे बढ़ गए। और प्रेरणा संबंधित वीडियोस बनाकर यूट्यूब पर डालने लगे, और बन गए एक प्रेरक वकता।

आखिरकार महेंद्र ने मोटिवेशनल स्पीकर बनने का असली सफर शुरू किया
आखिरकार महेंद्र ने मोटिवेशनल स्पीकर बनने का असली सफर शुरू किया

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