कमाल कर दिया इस बेटी ने, बना डाला आर्टिफिशल प्लास्टिक, बस चार महीनो में ही खुद हो जाएगा नष्ट ये अनोखा प्लास्टिक

प्लास्टिक आज की सबसे बढ़ती हुई समसयाओ में से एक है। और हर इंसान आज पर्यावरण के लिए किसी न किसी रूप से चिंतित रहता है। और अक्सर ये सोचता है कि प्लास्टिक को किस तरह से खत्म किया जा सकता है? लेकिन उसके लिए प्रभावी रूप से कोई भी प्रयास नहीं करता है। हालांकि इसी के विषय में गंभीरता से सोचने की बहुत आवश्यकता है। क्योकि प्लास्टिक के प्रयोग से ने सिर्फ पर्यावरण को हानि पहुंच रही है, बल्कि तापमान भी बढ़ रहा है। और अगर जल्द ही प्लास्टिक का प्रयोग जल्द ही बंद नहीं किया गया, तो शायद जल्द ही पृथ्वी पर एक बहुत बड़ा संकट मंडरा सकता है। और फिर उपाय कोई काम नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमे आज ही हर संभव प्रयास से प्लास्टिक के प्रयोग पर रोकथाम करनी ही होगी। वैसे आजकल के युवा भी इसे लेकर काफी चिंतित है। और इसके लिए अपने अपने स्तर पर प्रायसरत भी है। हम आज एक ऐसे ही जागरूक युवती सुकन्या दीक्षित की कहानी लकेर आपके लिए लाये है , जिन्होंने एक ऐसे प्लास्टिक का निर्माण किया है ,जो कि 4 महीने बाद खुद ही नष्ट हो जायेगा।ये छात्रा है IIT स्टूडेंट सुकन्या दीक्षित जी।

IIT की छात्रा सुकन्या दीक्षित ने बना डाला इको फ्रेंडली प्लास्टिक फार्मूला
IIT की छात्रा सुकन्या दीक्षित ने बना डाला इको फ्रेंडली प्लास्टिक फार्मूला

सुकन्या दीक्षित बना डाला इको फ्रेंडली प्लास्टिक फार्मूला

IIT की छात्रा सुकन्या दीक्षित ने अपनी कड़ी मेहनत के बाद एक इको फ्रेंडली प्लास्टिक का आर्टिफिकल फार्मूला बनाकर तैयार किया है। जो कि बहुत सराहनीय है। क्योकि ऐसा अद्बुध प्रयास इतने सालो में किसी ने नहीं किया है। लेकिन देश की इस बेटी ने कर दिखाया है। दरअसल उन्होंने ऐसा कानपूर आइआइटी की इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन हब की सहायता से इस कार्य को किया है।

 एक इको फ्रेंडली प्लास्टिक का आर्टिफिकल फार्मूला बनाकर तैयार किया है।
एक इको फ्रेंडली प्लास्टिक का आर्टिफिकल फार्मूला बनाकर तैयार किया है।

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पर्यावरण को भी नहीं करेगी नुकसान

बताया जा रहा है कि, सुकन्या दीक्षित नाम की इस छात्रा के नाम से बनाया गया ये अनोखा अविष्कार किसी भी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं करेगा। क्योकि ये खुद ही 4 महिने के अवधि में नष्ट हो जाएगी। जिसकी वजह से आप इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। और सुकन्या के द्वारा किया गया ये प्रयास यदि विश्व स्तर पर अपनाया जाय, तो शायद लोगों की प्लास्टिक के प्रति आदत भी नहीं खराब होगी , और साथ ही एक प्लास्टिक मुक्त पृथ्वी भी बननी शुरू हो जाएगी।लेकिन सुकन्या के आर्टिफिशल प्लॉस्टिक को बनाने के पीछे का कारण थोड़ा दुखद है। दरअसल उनकी माता जी को कैंसर हो गया था, जिसके पीछे का कारण प्लास्टिक था।

पर्यावरण को भी नहीं करेगी नुकसान
पर्यावरण को भी नहीं करेगी नुकसान

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