दरिंदे की तरह पति करता था मारपीट,ज़िल्लत भरी इस ज़िंदगी को छोड़कर, बढ़ाया नया कदम और बन गयी पुष्पा इ-ड्रिक्शा ड्राइवर!!

आज महिलाए किसी से भी कम नहीं है। हर क्षेत्र में महिलाए सबसे आगे है। और बात करे अगर पुरषों के बराबरी की तो महिलाए आगे ही है। क्योकि जितनी सहनशीलता और धैर्य महिलाओ के पास होता है। उतना किसी के पास नहीं होता है। और सहनशीलता संघर्ष की ऐसी ही दास्ताँ है पुष्पा निषाद की। जो भले ही कम पढ़ी लिखी है। लेकिन उनका होंसला किसी से कम नहीं उनकी शादी 19 साल की उम्र उम्र में हो गयी , शादी के बाद तो जैसे मार पीट होना रोज का काम बना लिया था पति ने। फिर उन्होने वही सब प्रताड़ना झेली। जो कि एक औरत को उस वक़्त गरीबी की और लाचारी की वजह से झेलती थी।

पुष्पा का पति उससे रोज़ शराब पीकर मार पिटाई करता था
पुष्पा का पति उससे रोज़ शराब पीकर मार पिटाई करता था

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पिता भी शराबी थे ,और पति भी निकल गया शराबी

पुष्पा निषाद जब 19 साल की थी जब उनकी शादी हो गयी थी। गरीबी के काऱण वो ज्यादा नहीं पढ़ पायी। और उन्हें मौका नहीं मिल पाया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। और खुद पर भरोसा रखा। और आखिर सफलता का मुकाम हासिल कर ही लिया। और कुछ ऐसा कर दिखाया कि उनकी दास्ताँ लाखों महिलाओ के लिए प्रेरणा बन गयी।

 पुष्पा जी के पति ने उनसे इतनी मार पीट कि, की उनके बदन के कपडे तक फाड़ डाले।
पुष्पा जी के पति ने उनसे इतनी मार पीट कि, की उनके बदन के कपडे तक फाड़ डाले।

एक दिन पति ने इतना मारा कि…

वैसे तो पुष्पा का पति उससे रोज़ शराब पीकर मार पिटाई करता था लेकिन पुष्पा जी से उसने इतनी मार पीट कि, की उनके बदन के कपडे तक फाड़ डाले। और फिर शुरू हुआ असली संघर्ष । क्योकि उस दिन बहुत ही हद पार हो गयी थी। पुष्पा अपने ऊपर हुए जुल्म और सितम को तो झेल लेती थी। मगर उनके पति ने बच्चो पर भी हाथ उठाना शुरू कर दिया। जिसे पुष्पा सहन न कर पायी। और उसने डटकर सामना किया।

पुष्पा ने इतना सब होने के बाद एक ऐसा वक़्त भी देखा। जब उन्होंने हिम्मत पूरी तरह से हार दी थी।
पुष्पा ने इतना सब होने के बाद एक ऐसा वक़्त भी देखा। जब उन्होंने हिम्मत पूरी तरह से हार दी थी।

पुष्पा निषाद आत्महत्या की भी कर चुकी है कोशिश

पुष्पा निषाद ने इतना सब होने के बाद एक ऐसा वक़्त भी देखा। जब उन्होंने हिम्मत पूरी तरह से हार दी थी। और एक दिन तो हिम्मत हारकर नदी के किनारे पर जान देने चली गयी। लेकिन वो कहते है न कि, एक औरत का सबसे ही मजबूत किरदार एक माँ का होता है। इसलिये उन्हे आत्महत्या करते वक़्त अपने बच्चे याद आ गए। और वो लौट आयी।

पुष्पा ने आत्म निर्भर बनने के लिए इसी संस्था से इ-रिक्शा चलाना सीखा
पुष्पा ने आत्म निर्भर बनने के लिए इसी संस्था से इ-रिक्शा चलाना सीखा

पुष्पा निषाद आज है इ-रिक्शा ड्राइवर

इतना सब कुछ झेलने के बाद पुष्पा ने फिर से हिम्मत बटोरी। और पति से अलग हो गयी। और फिर बच्चो की परवरिश करने लगी। इसी दौरान पुष्पा निषाद को “हम सफर” नाम की एक संस्था क बारे में भी पता चला। और पुष्पा ने आत्म निर्भर बनने के लिए इसी संस्था से इ-रिक्शा चलाना सीखा। पुष्पा के लिए ये सब एकदम नया था। और उन्होंने इ-रिक्शा चलकर ड्राइवर बनने का फैसला लिया। जब वो लइसेंस क लिए परिवहन ऑफिस गयी थी। तो उनके ऊपर हर कोई रहा था। हर कोई उनका मज़ाक बना रहा था। लेकिन उन्होंने सबकुछ दरकिनार करके अपनी एक अलग पहचान बनायीं।

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