उत्तररखण्ड की बसंती देवी सिर्फ 14 साल कीउम्र हो गयी थी विधवा, पर्यावरण संरक्षण में लगा दिया सारा जीवन, पदम् श्री से हुई सम्मनित

अक्सर हम बाल विवाह की काहनियां सुनते है। और पुराने ज़माने में तो लड़कियों को पढ़ने का अधिकार ही नहीं था। बहुत ही कम लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते थे। या पढ़ाते ही नहीं थे। आज हम आपको एक ऐसी सशक्त नारी की कहानी बताने जा रहे है। जिनकी शादी मात्र 12 साल की उम्र में हो गयी थी। और वो 14 साल की उम्र में बाल विधवा भी बन गयी। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उन्हें भारत के इतने बड़े सम्मान पदम् श्री से नवाज़ा गया। हम बात कर रहे है। उत्तराखंड की रहने वाली बसंती देवी की। उन्होंने अपना सारा जीवन ही पर्यावरण को बचाने में लगा दिया। और उनके अद्वितीय प्रयास और अनोखी क्षमता के कारण उन्हें आज भारत के दूसरे सबसे बड़े सम्मान पदम् श्री से सम्मनित किया गया है।

बसंती देवी जी ने पर्यावरण को बचाने में अपना एहम योगदान दिया है।
बसंती देवी जी ने पर्यावरण को बचाने में अपना एहम योगदान दिया है।

12 साल की जब बसंती देवी की शादी हुई थी

जब बसंती देवी की शादी हुई थी। उस वक़्त वो सिर्फ 12 साल की थी। और इस बाल उम्र में जब बच्चे को खुद की भी सुध नहीं होती। उन्हें ब्याह दिया गया। वैसे उस समय बाल विवाह जैसी कुरीतियां प्रचलित थी। जिसमें कई मासूम लड़कियों की शादी करा दी जाती थी। और उस वक़्त पढ़ाई को इतना महत्व नहीं दिया जाता था। इसी कारण से कई महिलाएं जो काबिल हो सकती थी। शादी के बाद कुछ नहीं कर पाती थी। और फिर कम उम्र में शादी। फिर बच्चे हो जाने से भी उनकी मानसिक स्तिथि पर असर पड़ता था।

बसंती देवी जी ने अपने असाधारण प्रयासों से न सिर्फ कौसी नदी के बचाव का काम किया।
बसंती देवी जी ने अपने असाधारण प्रयासों से न सिर्फ कौसी नदी के बचाव का काम किया।

पर्यावरण के संरक्षण में है एहम योगदान

बहुत से लोगों को शायद ये नहीं पता होगा कि बसंती देवी जी ने पर्यावरण को बचाने में अपना एहम योगदान दिया है। और उनका द्वारा किये प्रयास के फलस्वरूप आज उनके गाँव कौसानी का लगभग हर व्यक्ति जागरूक है। और उनसे प्रेरणा ले रहा है। और पर्यावरण को बचाने की इस अनोखी मुहीम में उनके साथ ही खड़ा है। और उनकी कही गयी बातों का सम्मान भी करता है। बसंती देवी जी ने अपने असाधारण प्रयासों से न सिर्फ कौसी नदी के बचाव का काम किया। बल्कि उन्होंने महिलाओं से सम्बंधित फैली कुरुरीतियो को भी दूर किया है।

लक्ष्मी आश्रम से मिला समाज सेवा का पथ

शादी होने के दो साल बाद ही बाल उम्र में उनके पति की मृत्यु हो गयी ,जिसके बाद उन्होंने कभी दोबारा शादी नहीं की और कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में रहने लगी और वही से उनका सम्पर्क राधिका से हुआ। और उन्होंने समाज सेवा करना शुरू किया। और सबसे पहले महिलाओं के संगठन क लिए कार्य किया। और समाज में फैली हुई कुरितियो को भी खत्म करने में मदद की।

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बसंती देवी को मिला पद्म श्री सम्मान
बसंती देवी को मिला पद्म श्री सम्मान

बसंती देवी को मिला पद्म श्री सम्मान

साल 2022 में केंद्र सरकार ने कुछ ताकतवर और सशक्त महिलाओं की सूचि जारी की। जिन्हे उनके अनोखे योगदान के लिए पदम् श्री सम्मान मिलेग़ा ,उसमें बसंती देवी का नाम भी शामिल है। और अब उन्हें पद्म श्री सम्मान भी मिल चुका है। और केंद्र सरकार द्वारा सम्मान मिलना काफी बड़ी बात है.

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