बैल ने बचायी थी बच्चे की जान, और ये बेज़ुबान बन गया परिवार का हिस्सा, मौत के बाद मालिक ने किया कुछ ऐसे अंतिम संस्कार

अपने बचपन में आपने दो बैलों की कथा तो सुनी होगी। जिसमें झूरी के दो बैल थे हीरा और मोती, दोनों के बीच की दोस्ती के बारे में भी आपने जरूर पढ़ा होगा और वह अपने मालिक से कितना प्यार करते थे, यह भी आपने पढ़ा होगा और उनका मालिक उन दोनों बैलों को अपने परिवार के सदस्य की तरह ध्यान रखते थे। किस तरह वह दोनों बैल किसी और को बेचे जाने पर भी वापस अपने मालिक के पास आ जाते हैं। यह कहानी जैसे बचपन में दिल को छू जाती थी , ऐसी ही एक और दिल को छू जाने वाली घटना महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के देवपुर में घटी है। किसान संदीप नरोटो के बैल की मौत हो गई , बैल की मौत के बाद संदीप ने उसका पूरा विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया।

जब बैल ने बचायी थी जान
जब बैल ने बचायी थी जान

25 साल पहले लिया था बछड़े को गोद

दरअसल संदीप के पिता जी ने 25 साल पहले एक बछड़े को गोद लिया था। जिसका नाम उन्होंने शुक्रिया रखा था। शुक्रिया अपने परिवार का कृषि में काफी समय तक साथ दिया। लेकिन दो साल पहले संदीप के परिवार वालों ने शुक्रिया से काम करवाना बंद कर दिया था, उन्होंने ऐसा इसीलिए किया क्योंकि उसकी उम्र हो गई थी। शुक्रिया की देखभाल बिल्कुल अपने घर के बुजुर्गों की तरह करने लगे। जैसे कि आप सबको पता है कि, जब बैल बूढ़ा हो जाता है, तो आजकल के लोग उनको बाहर छोड़ देते हैं। ताकि वह अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा सके , लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।

 बैल का किया अंतिम संस्कार
बैल का किया अंतिम संस्कार

जब बैल ने बचायी थी जान

संदीप ने बताया कि, वह शुक्रिया को काफी मानते हैं , और एक परिवार के सदस्य की तरह ही मानते है। इसके पीछे की एक खास वजह है। दरअसल संदीप का बेटा जब 4 साल का था, तब वह एक दुर्घटना का शिकार होने वाला था, लेकिन शुक्रिया के कारण ही उसके बेटे की जान बची। एक बार संदीप बैलगाड़ी में अपने बेटे के साथ कहीं जा रहा था, तब संदीप का बेटा जिसका नाम सोहम है बैलगाड़ी के नीचे गिर गया। वह कुछ इस तरह गिरा था कि अगर बैलगाड़ी आगे बढ़ती तो सोहम की मौत हो जाती , लेकिन शुक्रिया को शायद इसकी भनक हो गई और वह वहीं रुक गया। जिसके कारण बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी और सोहम बच गया ।

संदीप ने‌ बैल की फोटो पर माला चढ़ाई, और उसकी तेरहवीं पर गांव वालों को भोजन भी खिलाया।
संदीप ने‌ बैल की फोटो पर माला चढ़ाई, और उसकी तेरहवीं पर गांव वालों को भोजन भी खिलाया।

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बैल का किया अंतिम संस्कार

दुर्घटना के बाद से संदीप और संदीप के परिवार वाले शुक्रिया को घर के एक सदस्य के रूप में मानने लगे , शुक्रिया की मौत के बाद संदीप ने ना तो सिर्फ उसका अंतिम संस्कार किया बल्कि उसकी तरफ भी की ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके। संदीप ने‌ बैल की फोटो पर माला चढ़ाई, और उसकी तेरहवीं पर गांव वालों को भोजन भी खिलाया। ऐसे दिलवाले को सलाम है, और जहां आजकल लोग जानवरों को मारते हैं उनको बाहर बाहर छोड़ कर आते हैं , वहां ऐसे भी कुछ लोग हैं जो कि इतना सम्मान देते हैं ऐसे लोग जानवर के प्रति सम्मान और प्यार बढ़ाते हैं ,जो कि समाज के दूसरे लोगों को भी प्रभावित करता है।

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