लॉकडाउन के समय का कुछ ऐसे किया इस्तेमाल, कि कर दिया कमाल, 2 साल की मेहनत से बन गयी ISRO में वैज्ञानिक

भारत की बेटियां किसी से भी कम नहीं है। और उन्होंने शुरू से ही भारत का नाम रोशन किया है। और हम भी हमेशा भारत की कुछ हुनर और गुण बेटियों और शख्सियत की कहानियां लेकर आते ही रहते है। आज की कहानी में सबसे खास बात है, समय का सदुपयोग बताया गया है। बेटी जिसका नाम है अर्चना बिष्ट। इन्होने देश में कोरोना के चलते जब लॉक डाउन लग गया था, तो 2 साल तक लॉक डाउन के खाली मिले समय का पूरा फायदा उठाया था। और समय का सदुपयोग करते हुए उन्होंने पुरे मन से मेहनत करते हुए देश के सबसे कठिन परीक्षाओ में शमिल इसरो की वैज्ञानिक परीक्षा की तैयारी भी की है। और अर्चना बिष्ट उस समय का पूरा फ़ायदा उठाते हुए तैयारी पूरी की। उस समय जब लोग जहाँ इतना समय बर्बाद कर रहे थे। लेकिन वहीँ अर्चना जैसे लोग भी है, जिन्होंने इस समय को एक वरदान तरह समझा था। और सही प्रयोग किया है।

 ब्लूम स्कूल से पढ़ी है अर्चना बिष्ट
ब्लूम स्कूल से पढ़ी है अर्चना बिष्ट

ब्लूम स्कूल से पढ़ी है अर्चना बिष्ट

बता दे कि, अर्चना बिष्ट जी प्रताप विहार के क्षेत्र में स्थित ब्लूम स्कूल से पढ़ी है। और उन्होंने वहीं से ही अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की है। और उसके बाद उन्होंने दिल्ली से मैथ्स से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की है। उनके पास अपनी भविष्य को संवारने के कई मौके आये। लेकिन वो हमेशा से ही कुछ बड़ा करना चाहती थी। जिसके लिए उन्होंने प्रयास भी किया। और उसमे सफलता हासिल की है। और वाकई में हमे देश की ऐसी बेटी पर गर्व होना चाहिए।

साधारण परिवार में जन्मी अर्चना वैसे तो एक एवरेज ही स्टूडेंट रही है
साधारण परिवार में जन्मी अर्चना वैसे तो एक एवरेज ही स्टूडेंट रही है

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 जब आये थे 100 में से सिर्फ 11 मार्क्स

साधारण परिवार में जन्मी अर्चना वैसे तो एक एवरेज ही स्टूडेंट रही है , और एक बार गणित विषय में स्कूल में उनके 100 में से 11 मार्क्स आये थे। लेकिन शिक्षकों ने उन्हें बहुत हिम्मत देकर उनका होंसला बनाया था। और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी थी। और उन्होंने अगली बार टेस्ट में 100 में से 100 मार्स लाकर ये साबित कर दिया कि मजबूत इरादों की बदौलत वो हर सफकता को हासिल कर सकते है। और आज वो अपनी मेहनत के बल पर इसरो में वैज्ञानिक बन गयी है।

अर्चना अपनी मेहनत के बल पर इसरो में वैज्ञानिक बन गयी है।
अर्चना अपनी मेहनत के बल पर इसरो में वैज्ञानिक बन गयी है।

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