ध्याड़ी मज़दूर करने वाले के इस होनहार बेटे ने बना डाला जवानो के लिए ये स्मार्ट जूता, बर्फ या मलबे में दबे होने पर देदेगा सिगनल

हमारे देश में हुनर की कोई कमी नहीं है। और अक्सर हमे ऐसी कहनिया देखने को मिल ही जाती है। जिसमे हुनर और गुणों की पहचान सही समय पर होती है। और हम आपके लिए भी अक्सर ऐसी ही कहानियां लेकर आते रहे है। जो आपको प्रेरित करती है। और हम प्रयास करते है कि, आप जीवन में कुछ कार्य कर सके। और आगे बढे। आज की कहानी है एक मज़दूर की बेटे की। जिन्होंने केि, ऐसा काम किया है, कि सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। और वाकई में आप ये सोचेंगे कि, कोई बच्चा ऐसे भी कर सकता है , दरअसल सुमित कुमार नाम इस बेटे ने आर्मी के जवानो के लिए एक स्मार्ट जूता बनाया है। जो कि, उन्हें मुसीबत के समय पर काम आएंगे , और बर्फ या फिर मलबे में दबे होने पर सिग्नल देती रहेगी। और मुसीबत में जवानो की मदद भी करतें है। वाकई इस बेटे का ये कमाल का अविष्कार किया है। क्योकि आज से पहले किसी ने भी ऐसे नहीं सोचा है।

उत्तर प्रदेश के मेरठ से है सुमित कुमार
उत्तर प्रदेश के मेरठ से है सुमित कुमार

उत्तर प्रदेश के मेरठ से है सुमित कुमार

बता दे कि, ये सुमित कुमार एक मज़दूर के बेटे है। और वे उत्तर प्रदेश मेरठ से है। और इनके पिता मज़दूरी करते है। और ध्याड़ी करके किसी तरह से घर चलाते है। और इसी मज़दूर के बेटे ने ये स्मार्ट जुटे बनाकर बहुत कमाल कर दिखाया है। और एक मिसाल पेश की है। और उनके द्वारा बनाये गए ये स्मार्ट जूतों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि, ये जूता बर्फ या फिर मलबे में दबे होने के कारण भी उनके मुसीबत में उन्होंने का सिग्नल हेड क्वार्टर मे सुचना पहुंच जाती है।

B.Tec के छात्र है सुमित कुमार
B.Tec के छात्र है सुमित कुमार

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B.Tec के छात्र है सुमित

सुमित कुमार नाम का ये बालक बीटेक का प्रथम वर्ष का छात्र है। एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर में B.Tech जकर रहे है , और उनके मन में शुरु से ही एक अनोखे अविष्कार करने का विचार था , जो कि जवानो की मदद कर सके। और उनकी इसी अलग सोच ने उन्हें अलग बना दिया है।

 ये जूता बर्फ या फिर मलबे में दबे होने के कारण भी उनके मुसीबत में उन्होंने का सिग्नल हेड क्वार्टर मे सुचना पहुंच जाती है।
ये जूता बर्फ या फिर मलबे में दबे होने के कारण भी उनके मुसीबत में उन्होंने का सिग्नल हेड क्वार्टर मे सुचना पहुंच जाती है।

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