गरीबी का अभिशाप ऐसा था, कि दो वक़्त का खाना तक नहीं था घर में, माँ ने मज़बूरी में भेज दिया था अनाथ आश्रम, संघर्ष झेलकर बन गए आईएएस अफसर

आपने कई ऐसी कहानियां सुनी होगी। जिनमे संघर्ष तो होगा ही, साथ होगी लगन के साथ की गयी मेहनत। लेकिन कुछ संघर्ष ऐसे होते है,जिनका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते हो। कि कितनी मुश्किलों भरे दिन रहे होंगे वो। जब कई बार मज़बूरी के कारण भूखे रहना पड़ता था। और हालात इतने खराब थे कि, माँ ने गरीबी के कारण अनाथालय में डलवा दिया ताकि दो वक़्त का खाना मिल सके। और बच्चे पल सके। ये कहानी है केरल के मोहम्मद अली शिहाब की! जिनके घर में इतनी गरीबी थी कि माँ ने मज़बूरी के चलते अनाथ आश्रम में डाल दिया था। क्योकि पिता तो शिहाब के बचपन में ही चल बसे थे। लेकिन मुश्किलों से लड़कर उन्होंने उनका सामना किया। और बन गए आईएएस अफसर।

केरल से है मोहम्मद अली शिहाब
केरल से है मोहम्मद अली शिहाब

केरल से है मोहम्मद अली शिहाब

बता दे कि मोहम्मद अली शिहाब केरल के मलप्पुरम गांव, एडवान्नाप्पारा में जन्मे थे। और उस वक़्त इतनी गरीबी थी कि, शिहाब को बचपन में ही बहुत मासूम सी उम्र में ही अपने पिता के साथ टोकरियां बेचने जाते थे। और उनके पिता भी उन्हें दो वक़्त की रोटी देने के लिए पुरे दिन पसीना बहाते थे। परिवार में 7 लोग थे। जिनका भरण पोषण करना बहुत मुश्किल था। और दो वक़्त की रोटी तो छोड़ो। उन्हें एक वक़्त का ही खाना बड़ी मुश्किल से मिल पाता था।

मोहम्मद अली शिहाब बीमारी के कारण पिता चल बसे

जब शिहाब अपने बचपन के समय में थे, तो वो अपने पिता के साथ टोकरियां बेचने जाते थे। लेकिन उनके पिता को कोई गंभीर बीमारी थी। जिस कारण से उनकी मृत्यु हो गयी थी। और वो पीछे छोड़ गए,अपनी बीवी और 5 बच्चो का परिवार। पिता के जाने के बाद शाहिब की माँ के सर पर पूरी जिम्मेदारी आ गयी। लेकिन एक अकेली औरत के लिए इतनी बड़ी जिम्मेदारी सम्भालना आसान नहीं होता। खासकर जब गरीबी का प्रहार इतना भयंकर हो रहा हो कि दाने दाने के भी मोहताज हो जाय।

गरीबी के कारण शाहिब की माँ ने अपने बच्चो को अनाथ आश्रम में भेजने का कठिन निर्णय लिया।
गरीबी के कारण शाहिब की माँ ने अपने बच्चो को अनाथ आश्रम में भेजने का कठिन निर्णय लिया।

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मजबूरी के कारण माँ ने भेज दिया अनाथ आश्रम

कोई भी माँ अपने बच्चो को जानबूझकर कभी भी अनाथ आश्रम नहीं भेज सकती। लेकिन गरीबी के कारण मोहम्मद अली शिहाब की माँ ने अपने बच्चो को अनाथ आश्रम में भेजने का कठिन निर्णय लिया। सिर्फ ये सोचकर कि उन्हें दो वक़्त की रोटी तो मिल ही जाएगी। और फिर शाहिब की ज़िंदगी में कुछ अच्छा हुआ। वो पढ़ने में तो अच्छा था ही, जिस कारण उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान दिया। और अच्छा प्रदर्शन किया।

मोहम्मद अली शिहाब बन गए आईएएस अफसर

शाहिब ने बहुत कठिन प्रयास किया। और पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने परीक्षाओ की तैयारी करना शुरू कर दिया। और परीक्षा पास करने लगे। और उनके इसी जूनून ने उन्हें बना दिया आईएएस अधिकारी।

पढ़ने में तो अच्छा था ही, जिस कारण उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान दिया।
पढ़ने में तो अच्छा था ही, जिस कारण उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान दिया।

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