2022 में हिन्दू नववर्ष “2079” की आखिर कब होगी शरुआत , जाने महतवपूर्ण पर्व की सारी जानकारी !!

हिन्दू नववर्ष चैत्रमास से शुरू होता हे जो वर्ष का पहला महीना होता हे विक्रम सम्वत सर्वथा प्रचलित हे जो महान धर्मपरायण राजा विक्रमादित्य द्वारा शुरू किया गया था जो वर्तमान में विक्रम सम्वत के नाम से लोक प्रसिद्द हे यह वर्तमान में नेपाल में सबसे ज्यादा प्रचलन में हे जो हिमालयी राष्ट्र हे संवत्सरों में सर्वाधिक लोकप्रिय विक्रम सम्वत ही हे शायद इसकी वैज्ञानिकता के कारण ही इसकी ज्यादा उपयोगिता हे(2022 में हिन्दू नववर्ष)।

दुनिया के निर्माण से ही इसकी समय गणना

विक्रम सम्वत सर्वथा प्रचलित
विक्रम सम्वत सर्वथा प्रचलित हे

माना जाता हे कि इस दिन ही सृष्टि का निर्माण हुआ और बहुत सी ऐतिहासिक घटनाएं हुई और सनातन धर्म सम्बन्धी बहुत से महत्वपूर्ण कार्य इस दिन हुए जो इस दिन को बेहद ख़ास बनाती हैं इस दिन से ऋतुओं की शुरुआत जो पूर्णतः वैजानिक हे।

सारे काम भले ही अंगरेजी नववर्ष के अनुसार हों लेकिन सारे धार्मिक क्रिया कलाप हिन्दूओ के इसी भारतीय पंचांग के आधार पर होते हैं और तरह तरह के संस्कृतियों के हिसाब से तरह के क्रयाएं होती हैं लेकिन सनातन का मूल सिद्धांत इसी सम्वत पंचांग के हिसाब से काम करता हे।

नववर्ष कैसे मनाते हैं

हिन्दू नववर्ष को नवसंवत्सर भी कहा जाता हे
हिन्दू नववर्ष को नवसंवत्सर भी कहा जाता हे

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  • घरों में गाय का गोबर लाकर उसका गोबर गणेश बनाकर पूजा की जाती हे।
  • अपने ईस्ट देव का पूजन करें
  • अक्षत रोली का तिलक करें
  • देवताओं के नाम पर पुष्प अर्पण करें
  • मीठे पकवान बनाएं
  • विशेष कार्य सिद्धि के लिए दैनिक अभ्यास नववर्ष के आरम्भ पर ही शुरू करें।

हिन्दू नववर्ष को नवसंवत्सर भी कहा जाता हे जिसमे चैत्र मास के नवरात्र भी शुरू होते हैं।इसलिए अगर कोई शुभ संकल्प नव संवत्सर पर लिया जाता हे तो कार्य सिद्ध होने के चांस अधिक होते हैं।नवसंवत्सर ज्यादातर कवियों की ज़ुबानी में शुभ फल की आकांक्षा से परिपूर्ण होता हे जिसमे ऋतू आरम्भ को आलोकिक माना जाता हे।

विक्रम सम्वत

वर्ष भर में सात दिन और बारह महीनो की गणना भी विक्रम सम्वत से ही शुरू
वर्ष भर में सात दिन और बारह महीनो की गणना भी विक्रम सम्वत से ही शुरू

भारत में राष्ट्रीय सम्वत शक और विक्रम सम्वत अधिक मान्य हैं और इनके अलावा कई सारे सम्वत हैं ।लेकिन इन सब के मूल में नववर्ष ही हे जो इनकी मुख्या कड़ी हे माना जाता हे कि विक्रम सम्वत से पहले वर्ष भर की गणना सूर्य और चंद्र के अनुसार होती हे लेकिन महाराज विक्रमादित्य ने वर्ष भर में सात दिन और बारह महीनो की गणना भी विक्रम सम्वत से ही शुरू की जिसके बाद यह सम्वत अस्तित्व में आया।

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हिन्दू नववर्ष से विवाह और अन्य सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान कराये जाते हैं ।इनके अलावा सारे कार्यों को करने का सही समय भी इसके अनुसार तय किये जाते हैं जिसकी वजह से इसका महत्व अधिक हो जाता हे। हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।

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