श्रीमद्भागवत गीता के बताए गए मनुष्य की बर्बादी के ये तीन कारण आज हर मनुष्य को जानना चाहिए।

श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कई नीतियों के उपदेश दिए हैं। इसमें बताए गए एक श्लोक के अनुसार, जो मनुष्य ये 4 आसान काम करता है, उसे निश्चित ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे मनुष्य के जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म माफ हो जाते हैं और उसे नर्क नहीं जाना पड़ता। आइए, जानते हैं उन कामों के बारे में आधुनिक जीवन में सफलता का अर्थ पैसों और सुख-सुविधा की चीजों से जुड़ा हुआ है। आप जितना भी धन कमा लेंगे दुनिया आपको उतना ही कामयाबी कहेगी, अंधाधुध पैसे कमाने की होड़ में कोई व्यक्ति ये नहीं सोचता कि उससे भौतिक दुनिया की सुख-सुविधा कमाने के कारण कितने पाप हो गए हैं।

श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने बताये ये उपाय
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने बताये ये उपाय

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दान

दान करने का अर्थ है किसी जरूरतमंद को वो चीज निशुल्क उपलब्ध करवाना, जिसे पाने में वो अक्षम है। दान करने से पहले या बाद किसी को भी दान के बारे में नहीं बताना चाहिए. दान को हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए।

रोजाना ध्यान करते हो. पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए
रोजाना ध्यान करते हो. पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए

आत्म संयम

कई बार ऐसा होता है कि हमारा मन और दिमाग दोनों विपरीत दिशा में चलते हैं और हम अधर्म कर बैठते हैं। गीता में दिए गए ज्ञान के अनुसार मन को वश में कर लेने से व्यक्ति द्वारा किसी पाप को करने की संभावना रहती है।

हमारा मन और दिमाग दोनों विपरीत दिशा में चलते हैं और हम अधर्म कर बैठते हैं
हमारा मन और दिमाग दोनों विपरीत दिशा में चलते हैं और हम अधर्म कर बैठते हैं

सत्य बोलना

कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है। किसी भी व्यक्ति की बात को सुनने मात्र से ये नहीं कहा जा सकता कि वो झूठ बोल रहा है या सच। अगर आपने भूतकाल में कोई गलत काम किया है, तो आप शेष बचे जीवन में हमेशा सत्य बोलकर पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं।

कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है।
कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है।

ध्यान या जप

आधुनिक युग में ऐसे लोग बहुत कम बचे हैं, जो रोजाना ध्यान करते हो. पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए नहीं बल्कि स्वंय का स्वंय से मिलन करवाने के लिए की जाती है। आत्मध्यान करके हम आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं। नियमित रूप से स्वच्छ मन से जप या ध्यान करने से भूल से हुई गलतियों से पार पाया जा सकता है।

आत्मध्यान करके हम आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं।
श्रीमद्भागवत गीता आत्मध्यान करके हम आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं।

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श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया है 3 कारणों से मनुष्य हो जाता है बर्बाद

कहते हैं दुनिया के हर एक व्यक्ति के अंदर का सबसे पहला अवगुण होता है उसकी इच्छाएं। जी हाँ, कहा जाता है जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं को नियंत्रण में नहीं रख पाता है वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं होता है ।  कई बार अत्यधिक क्रोध आने के कारण लोग गलत निर्णय ले लेते हैं जो उसकी बर्बादी का कारण बन जाते हैं। इस तरह व्यक्ति के अंदर का दूसरा अवगुण होता है क्रोध।

रोजाना ध्यान करते हो. पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए
(श्रीमद्भागवत गीता )रोजाना ध्यान करते हो. पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए

तीसरा अवगुण जो व्यक्ति के अंदर होता है वह है लालच। श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया है जैसे ही व्यक्ति की एक इच्छा पूरी होती है उसका लालच बढ़ता जाता है और उसके मन में और कई आकांक्षाएं जन्म लेने लगती हैं, जो उसकी बर्बादी का कारण बन जाती है।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड Samchar buddy .com से जुड़े रहे।

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