संपत्ति और प्यार को पाने के लिए भगवत गीता के ये 12 उपदेश आपका जीवन सफल बना देंगे

अक्सर बुजुर्ग धार्मिक लोगों के मुख से कई बार सुनायी देता हे गीता का सार … आखिर इस सार शब्द का अर्थ कितना गहरा है वास्तव में गूढ़ ज्ञान वाला आदमी ही बता सकता हे श्री कृष्ण ने अर्जुन को कई अनमोल बातों को बताया जिसके कारण अर्जुन को युद्ध की स्थति में सही समय पर सही निर्णय लेने को प्रेरित किया और अर्जुन को अपना लक्ष्य पाने में और उसके निर्धारण में मदद मिली।

क्रोध

क्रोधवश किसी भी काम को करने में किसी भी व्यक्ति के तात्कालिक निर्णय बहुत ही घातक सिद्ध होते हैं इनके दूरगामी दुष्परिणाम निकलते है। और क्रोध में किसी भी प्रकार का विवेक काम नहीं करता इसलिए क्रोध में किये गए निर्णय हमेशा घातक होते हैं

विवेक
विवेक

विवेक

ज्ञानी मनुष्य अपने कर्म और ज्ञान का विवेकपूर्ण निर्णय कर सकता हैं। विवेक मनुष्य को सही और गलत की पहचान खुद से ही करने की परख देता हे जिससे मानव बिना किसी नीति और नियम को जाने ही खुद ही सत्य की परख करता हे

स्वयं पर नियंत्रण

शत्रु और मित्र में अंतर ना कर पाने से मनुष्य खुद का ही शत्रु बन सकता हैं।क्योकि शत्रु तो राह में भी बन सकते हैं लेकिन मित्र को पहचानने और बनाने में समझदारी और धैर्य रखना जरूरी हे

आत्म चिंतन

आत्मा और परमात्मा को जोड़ने का माध्यम ज्ञान ही हो सकता हे इसलिए ज्ञान होकर की अज्ञानता पूर्ण व्यवहार अशोभनीय हैं।

आत्म निर्माण
आत्म निर्माण

आत्म निर्माण

अपने विश्वास को खुद में समाहित कर कार्य करना उसका छय ना होने देना अपनी संपत्ति घर जमीन पर निवेश की बजाय खुद पर निवेश को प्रधानता की श्रेणी में रखने से ही सर्वांगीण उन्नति संभव हे

कर्म फल

अच्छे और निर्धारित कर्म को ना टाल निष्काम भाव से यदि कर्म करें तो इसका फल अवश्य मिलता हे चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अन्य किसी रूप में परिवर्तित हो जाय

स्वाध्याय हे जरूरी

मानसिक संतुष्टि के लिए जरूरी हे अपना आत्म चिंतन और अध्ययन और विचार जिसके मेल से निरंतर अभ्यस्त हुआ जा सकेगा

आत्मविश्वास

संपत्ति और प्यार - आत्मविश्वास
संपत्ति और प्यार – आत्मविश्वास

किसी भी विषय के प्रति चाह प्रबल हो तो मनुष्य निरंतर संघर्ष से इच्छित वस्तु की पूर्ती के करीब चलता जाता हे और उसे हांसिल करना मुश्किल होता हे लेकिन कार्य सिद्ध हो जाता हैं।

चिंता

चिंता और भय का वातावरण तब पैदा होता हे जब हम दूसरो के हितों की अवहेलना करते हैं

आत्म उन्नति

किसी और का कार्य कर उससे अपेक्षा रखने से बेहतर हे अपने लिए कार्य करें और आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति करें

तन्मयता
तन्मयता

तन्मयता

पूरी सक्रिय बुद्धि ओर मन वचन को एकाग्र कर बुद्धिमानी का परिचय देकर ही कार्य को अंजाम तक पहुंचाएं एक समय में एक ही काम को ध्यान पूर्वक करने से कार्य सिद्ध हो जाते हैं

कर्म

जिस काम को कर रहे हो उस काम को पूरी निष्ठा और आनंदमय होकर करें

इस तरह की बहुत सी बातें गीता में कही गई हैं जिसके पालनकर्ता बताते हैं कि गीता का उपदेश मानने वालों की जीवन शैली इस प्रकार सार्थक होती हे जिससे उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा, सामाजिक प्रतिष्ठा, शारीरिक व्याधि से मुक्ति, आत्मबल वगैरह तमाम सारी भौतिक जगत के संसाधनों और पारलौकिक अनुभव की प्राप्ति गीता के उपदेश मानने से होती हैं।

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