शिवाजी के बाद मराठा राज्य की आन को मुगलों से बचाने वाली वीरांगना जिसे इतिहास से गायब कर दिया गया!!

भारत के महान साम्राज्यों की गिनती जब भी होती हे तो मराठा साम्राज्य का जिक्र जरूर होता हे। इतिहास की किताबों में शिवाजी महाराज की महानता के किस्से कहानियां भरी पडी हैं। लेकिन बहुत ही शर्म का विषय हे कि जहां पर इतिहासकारों ने उस काल के वीरों पर खूब रचनाएं की, वहीं उस समय की वीरांगनाओं की कहानियां केवल मुखजबानी और दंतकथाओं तक ही सीमित रह गई हैं। जिन्होंने उस काल में विदेशी आक्रांताओं से रणभूमि में जमकर लोहा लिया और पुरुषों की ही तरह शौर्य का प्रदर्शन किया। कुछ ऐसी ही कहानी मराठा राज्य की एक वीर रानी की हे जिसने मुगलिया सल्तनत के कई वर्षों तक अपने राज्य की रक्षा की, जिसका नाम ताराबाई भोंसले था।

कोन थी वीरांगना ताराबाई भोंसले

वीरांगना ताराबाई भोंसले
वीरांगना ताराबाई भोंसले

शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद मराठा राज्यपर संकट के बादल छाने लगे थे, तो उस संकट की घड़ी में अपने राज्य की रक्षा की जिम्मेदारी संभालने के लिए जो नाम सामने आया वह था मराठा राज शिवाजी महाराज की पुत्रवधू ताराबाई, जिन्होंने ना सिर्फ सैनिकों और राजदरबारियों का कुशल संगठन किया बल्कि जनता का विश्वास भी हांसिल किया।

इसे भी देखे-: प्राचीन ऐसे अति विकसित स्थान जो अब भूतिया राज में तब्दील हो चुके हैं। दिन में भी घूमने जाएँ तो भी सावधान

मुगलों की लाख कोशिशें मगर ताराबाई का तोड़ नहीं

ताराबाई ने मराठा कमान संभालकर मुगल सत्ता विस्तार रोका
ताराबाई ने मराठा कमान संभालकर मुगल सत्ता विस्तार रोका

ओरंगजेब ने शिवाजी की मृत्यु के बाद मराठा राज्य को हथियाने की कोशिश की, जिसके लिए उन्होंने सबसे पहले रायगढ़ के किले पर हमला किया, जिसे जीतने में वे कामियाब हो गए, इसके बाद उनके होंसले भी बुलंद हो गए और चारो और से मराठा राज्य पर हमला करने लगे। जिसमे उन्होंने संभाजी और उनके बेटे को बंदी बनाया, पर राजाराम और ताराबाई बच निकलने में कामियाब हो गए।

अपने साम्राज्य के ही एक किले में जो स्थान बहुत दूर तमिलनाडू में हे लेकिन सुरक्षा की नजर से अनुकूल था वहाँ पर गए, लेकिन मुग़ल शासन ने वहाँ भी उनका पीछा नहीं छोड़ा और उनपर लगातार हमले करते रहे। लेकिन आठ वर्षों तक ताराबाई ने मुगलों से लोहा लिया और अपने निवास जिंजी किले को उनके हाथ नहीं लगने दिया।

पति की मोत के बाद ताराबाई के ताकत देख मुग़ल रह गए दंग

मुग़ल सत्ता से संघर्ष के बाद साहूजी तक का सिलसिला
मुग़ल सत्ता से संघर्ष के बाद साहूजी तक का सिलसिला

इसके बाद ताराबाई के पति की अचानक से मोत हो गई जिसके बाद मुग़ल खुश हुए और अपने अधीन किले को करने के इरादे से आक्रमण किया, लेकिन ताराबाई ने गुरिल्ला युद्ध और अपने शौर्य से उन्हें धुल चटा दी। इसके बाद ओरंगजेब ने बड़ा कूटनीतिक दाव चला जिसके लिए उन्होंने संभाजी के बेटे साहूजी को अपने बंदी ग्रह से छोड़ दिया ताकि उत्तराधिकार की लड़ाई में वे आपस में ही लड़ मरें, लेकिन ताराबाई उन्हें गद्दी नहीं देना चाहती थी, जिसकी वजह उनका मुगलिया संगत से रहकर आना था।

लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था और साहूजी ने गद्दी पर अधिकार कर लिया। परन्तु ताराबाई का विपरीत समय में शौर्य प्रदर्शन जिससे मराठा राज्य को उनके युद्धनीति कुशल नेतृत्व के कारण मुग़ल कब्जा ना पाए उन्हें महान ऐतिहासिक वीरांगना के रूप में माना जाता हे।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।

Join WhatsApp Channel